The preoccupation of health is a disease or habit?

नमस्कार दोस्तो, जैसा कि मैंने अपने पिछले ब्लॉग में *क्या आप भी तो बहाना  नहीं बनाते* में बताया था कि आज हम किस तरह से अपने कामों को टालते रहते है, यार आज नहीं कल कर लनग्ये, कल नहीं तो परसों और इस तरह से वो काम कभी हो ही नहीं पाता और हमारे सपने अधूरे ही रह जाते है, और हम  समय और परिस्थिति को दोष देते है।दोस्तो समय तो आपको मिला था न पर आपने तो उसका सदुपयोग ही नहीं किया और काम को परसों पर टाल दिया था याद है न।
दोस्तो तो आइये हम अपने नए ब्लॉग जो को पिछले ब्लॉग का ही भाग है आरंभ करते हैं *सेहत का बहाना एक बीमारी या आदत* आशा करता हूं आप मेरे इस प्रयास को सराहग्ये-
"मै क्या करू, मेरी तबियत ही ठीक नहीं रहती।" यह सेहत का बहानासाइट है। परंतु सेहत का बहाना भी केयी तरह का होता है।कुछ लोग बिना किसी बीमारी के उलेख के यू ही कहते है, मेरी तबियत ठीक नहीं लग रही है। जबकि कुछ लोग अपनी बीमारी का नाम जोर देकर underline करते है और फिर विस्तार से आपको बताते है कि उनके साथ क्या गड़बड़ है?

लाखो करोड़ो लोग सेहत के बहाना से पीड़ित है, परंतु क्या ज्यादातर मामलों में यह सिर्फ बाहना नहीं होता? जरा एक पल के लिए सोचो की बेहद सफल लोग भी अपनी सेहत का रोना रो सकते है, परन्तु उन्होंने तो ऐसा कभी नहीं किया।
अगर आप बीमारी के बारे में सोचते रहग्ये तो, उसे खोजते रहनग्ये, उसकी चिंता करते रहनग्य तो अक्सर आप इसी वजह से बीमार पड़ जाएंगे।क्युकी चिंता चिता के समान है।
Dr. Shindlar के महान पुस्तक how to live 365 days a year पढ़े।इस पुस्तक में बताते है कि अस्पताल में को मरीज भर्ती होते है उनमें से 3/4 लोगो को को सारिरिक बीमारी होती ही नहीं है।उनकी बीमारी का असली कारण मानसिक होता है।

मौत के बारे में चिंता करने में व्यक्ति जितना समय बर्बाद करता है, उतने समय तक वह वास्तव में मुर्दा ही होता है।
मेरा एक विकलांग दोस्त एक गोल्फर है।एक दिन मैंने उसे पूछा कि। वह सिर्फ एक हाथ से इतना अच्छा कैसे खेल लेता है जबकि दोनों हाथ से खेलने वाले ज्यादातर गोल्फर अच्छा नहीं खेल सकते है।उसने मेरी इस बात का जोरदार जवाब दिया "यह मेरा अनुभव रहा है। के सही रवैया और  एक बाह वाला आदमी को हमेशा हरा सकता है""

*बचने के तरीके*
- अपनी सेहत के बारे में बात ना करे।
- अपनी सेहत की फालतू की चिंता करना छोड़ दे।
- आपकी सेहत जैसी भी हो आपको उसके लिए तत्पर होना चाहिए। एक कहावत है "मै अपने फटे हुए जूतों  को लेकर बहुत दुखी था, परन्तु जब मैंने बिना पैरो वाले आदमी को देखा तो मुझे ऊपर वाले से कोई शिकायत नहीं रही ।"
- अपने आपको यह याद दिलाए कि "जंग लगने से बेहतर है घीश जाना""
- रोज meditation करने की आदत डालो रोज नहीं तो हफ्ते में एक बार जरूर।

इसलिए यह समय है अपने आपको साबित करने का कुछ करने का रुको मत बस बढ़ते जाओ बढ़ते जाओ..
*मुसीबतें कितनी भी बड़ी क्यों ना हो पर आपके हौसले छोटे नहीं पड़ने चाहिए*
Luv your struggle days😍


#RkMotivation

Comments

Popular posts from this blog

जीवन एक युद्ध?

"सफलता तक पहुँचने के तीन रास्ते"

समय सही नही है!